यह इलेक्ट्रिकल इंजीनियरिंग के छात्रों के लिए एक विशेष स्थान है जहाँ वे जटिल विषयों पर चर्चा कर सकते हैं, समस्याओं का समाधान कर सकते हैं, और अपने ज्ञान को बढ़ा सकते हैं। यहाँ छात्र अनुभवी लोगों से मार्गदर्शन प्राप्त कर सकते हैं, प्रश्न पूछ सकते हैं, और परीक्षाओं की तैयारी के लिए सुझाव प्राप्त कर सकते हैं। यह मंच एक सहायक समुदाय बनाने का प्रयास करता है जहाँ छात्र एक साथ सीख सकते हैं और आगे बढ़ सकते हैं।
(A) परावैद्युत मोटाई
(B) प्लेट क्षेत्रफल
(C) प्लेट मोटाई
(D) कोई नहीं
संधारित्र की धारिता को प्रभावित करने वाले कारक
आपका यह कहना कि "एक संधारित्र धारिता प्रभावित नहीं होती है" पूरी तरह सटीक नहीं है। संधारित्र की धारिता कई कारकों पर निर्भर करती है।
संधारित्र की धारिता किन कारकों पर निर्भर करती है:
* प्लेटों का क्षेत्रफल: प्लेटों का क्षेत्रफल जितना अधिक होगा, उतनी ही अधिक धारिता होगी।
* प्लेटों के बीच की दूरी: प्लेटों के बीच की दूरी जितनी कम होगी, उतनी ही अधिक धारिता होगी।
* प्लेटों के बीच का माध्यम: प्लेटों के बीच के माध्यम की परावैद्युतांक (dielectric constant) जितना अधिक होगा, उतनी ही अधिक धारिता होगी।
धारिता को प्रभावित नहीं करने वाले कारक:
* प्लेटों की मोटाई: प्लेटों की मोटाई का धारिता पर कोई प्रभाव नहीं पड़ता है।
* आवेश: आवेश बढ़ाने से धारिता नहीं बदलती, बल्कि प्लेटों के बीच विभवांतर बढ़ जाता है।
संधारित्र की धारिता का सूत्र:
C = ε₀εᵣA/d
जहाँ:
* C = धारिता
* ε₀ = निर्वात की परावैद्युतांक
* εᵣ = माध्यम की सापेक्ष परावैद्युतांक
* A = प्लेटों का क्षेत्रफल
* d = प्लेटों के बीच की दूरी
उदाहरण:
* यदि आप एक संधारित्र की प्लेटों का क्षेत्रफल बढ़ाते हैं, तो उसकी धारिता भी बढ़ जाएगी।
* यदि आप प्लेटों के बीच की दूरी बढ़ाते हैं, तो उसकी धारिता घट जाएगी।
* यदि आप प्लेटों के बीच के माध्यम को हवा से कांच में बदलते हैं (जिसकी परावैद्युतांक हवा से अधिक होती है), तो उसकी धारिता बढ़ जाएगी।
निष्कर्ष:
संधारित्र की धारिता एक स्थिर मान नहीं है, बल्कि यह कई कारकों पर निर्भर करती है। इसलिए कहना कि "एक संधारित्र धारिता प्रभा
वित नहीं होती है" सही नहीं होगा।