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एयर संधारित्र में प्लास्टिक लगा दें तो धारिता
(A) बढ़ेगी
घटेगी
(C) शून्य हो जायेगी
(D) कोई परिवर्तन नहीं
जब एक एयर संधारित्र में प्लास्टिक लगाया जाता है, तो उसकी धारिता बढ़ जाती है।
क्यों?
यह समझने के लिए हमें संधारित्र की धारिता को प्रभावित करने वाले कारकों को समझना होगा। संधारित्र की धारिता निम्नलिखित सूत्र से दी जाती है:
C = ε₀εᵣA/d
जहाँ:
* C = धारिता
* ε₀ = निर्वात की परावैद्युतांक
* εᵣ = माध्यम की सापेक्ष परावैद्युतांक
* A = प्लेटों का क्षेत्रफल
* d = प्लेटों के बीच की दूरी
ऊपर दिए गए सूत्र में, εᵣ एक महत्वपूर्ण भूमिका निभाता है। इसे सापेक्ष परावैद्युतांक कहते हैं। यह किसी पदार्थ की विद्युत क्षेत्र को कम करने की क्षमता को दर्शाता है।
* हवा: हवा का सापेक्ष परावैद्युतांक लगभग 1 होता है।
* प्लास्टिक: प्लास्टिक का सापेक्ष परावैद्युतांक हवा की तुलना में अधिक होता है। इसका मतलब है कि प्लास्टिक, विद्युत क्षेत्र को हवा की तुलना में अधिक प्रभावी ढंग से कम कर सकता है।
जब हम एक एयर संधारित्र में प्लास्टिक लगाते हैं, तो:
* प्लेटों के बीच का माध्यम हवा से बदलकर प्लास्टिक हो जाता है।
* प्लास्टिक का सापेक्ष परावैद्युतांक हवा से अधिक होने के कारण, εᵣ का मान बढ़ जाता है।
* उपरोक्त सूत्र के अनुसार, जब εᵣ बढ़ता है तो धारिता C भी बढ़ जाती है।
यानी, प्लास्टिक लगाने से संधारित्र की धारिता बढ़ जाती है।
अन्य कारक जो धारिता को प्रभावित करते हैं:
* प्लेटों का क्षेत्रफल: प्लेटों का क्षेत्रफल बढ़ाने से धारिता बढ़ती है।
* प्लेटों के बीच की दूरी: प्लेटों के बीच की दूरी कम करने से धारिता बढ़ती है।
उदाहरण:
मान लीजिए आपके पास एक एयर संधारित्र है जिसकी धारिता 10 माइक्रोफैरड है। यदि आप इस संधारित्र में प्लास्टिक लगाते हैं जिसका सापेक्ष परावैद्युतांक 3 है, तो संधारित्र की नई धारिता 30 माइक्रोफैरड हो जाएगी।
निष्कर्ष:
जब एक एयर संधारित्र में प्लास्टिक लगाया जाता है, तो उसकी धारिता बढ़ जाती है। यह इसलिए होता है क्योंकि प्लास्टिक का सापेक्ष परावैद्यु
तांक हवा की तुलना में अधिक होता है।