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समान्तर पट्ट संधारित्र की धारिता में वृद्धि करने के लिए इसकी प्लेटों के बीच प्रविष्ट करना चाहिए।
(A) अभ्रक
(C) कॉपर
(B) टिन
(D) स्टील
उत्तर: (A) शून्य
* विशुद्ध संधारित्र: एक आदर्श संधारित्र है जिसमें कोई प्रतिरोध नहीं होता है।
* शक्ति का क्षय: जब कोई धारा किसी प्रतिरोधक से गुजरती है तो उसमें ऊर्जा का क्षय होता है, जिसे शक्ति क्षय कहते हैं। लेकिन एक आदर्श संधारित्र में कोई प्रतिरोध नहीं होता है, इसलिए इसमें कोई शक्ति का क्षय नहीं होता है।
* ऊर्जा का संग्रह: संधारित्र विद्युत ऊर्जा को संग्रहित करता है और फिर जब आवश्यक होता है तब उसे वापस देता है।
स्पष्टीकरण:
* जब एक प्रत्यावर्ती धारा को एक संधारित्र से जोड़ा जाता है, तो संधारित्र पहले आवेशित होता है और फिर निर्वर्तित होता है। इस प्रक्रिया में, संधारित्र ऊर्जा को विद्युत क्षेत्र के रूप में संग्रहित करता है और फिर उसे वापस परिपथ में देता है।
* चूंकि कोई ऊर्जा गर्मी के रूप में खोई नहीं जाती है, इसलिए एक आदर्श संधारित्र में शक्ति का क्षय शून्य होता है।
निष्कर्ष:
एक विशुद्ध संधारित्र में शक्ति का क्षय शून्य होता है क्योंकि यह ऊर्जा को संग्रहित करता है और फिर उसे वापस देता है। इसमें कोई प्रतिरोध नहीं होता है, इसलिए ऊर्जा का क्षय गर्मी के रूप में नहीं