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(A) d के समानुपाती
(B) d के विलोमानुपाती
(●) d² के विलोमानुपाती
(D) d² के समानुपाती
Ans,-c
सही उत्तर है: (C) d² के विलोमानुपाती
क्यों?
चुंबकत्व में कूलम्ब का नियम बताता है कि दो चुंबकीय ध्रुवों के बीच लगने वाला बल:
* ध्रुवों की प्रबलता के गुणनफल के समानुपाती होता है।
* ध्रुवों के बीच की दूरी के वर्ग के व्युत्क्रमानुपाती होता है।
यानी, अगर हम दूरी को बढ़ाते हैं, तो बल कम हो जाएगा और अगर हम दूरी को घटाते हैं, तो बल बढ़ जाएगा। लेकिन यह परिवर्तन दूरी के वर्ग के अनुसार होता है।
उदाहरण के लिए:
* अगर हम दूरी को दोगुना कर दें, तो बल एक चौथाई रह जाएगा (क्योंकि 2 का वर्ग 4 होता है)।
* अगर हम दूरी को आधा कर दें, तो बल चार गुना हो जाएगा।
इसलिए, दो चुंबकीय ध्रुवों के बीच का बल, उनके बीच की दूरी के वर्ग के व्युत्क्रमानुपाती होता है।
अन्य विकल्प क्यों गलत हैं:
* (A) d के समानुपाती: अगर बल दूरी के समानुपाती होता, तो दूरी बढ़ने पर बल भी बढ़ता जाता, जो कि सही नहीं है।
* (B) d के विलोमानुपाती: यह विकल्प आंशिक रूप से सही है, लेकिन यह पूरी तरह से सही नहीं है। बल दूरी के व्युत्क्रमानुपाती तो होता है, लेकिन यह दूरी के वर्ग के व्युत्क्रमानुपाती होता है।
* (D) d² के समानुपाती: अगर बल दूरी के वर्ग के समानुपाती होता, तो दूरी बढ़ने पर बल भी बहुत तेजी से बढ़ता जाता, जो कि सही नहीं है।
निष्कर्ष:
दो चुंबकीय ध्रुवों के बीच लगने वाला बल, उनके बीच की दूरी के वर्ग के व्युत्क्रमानुपाती होता है। यह एक महत्वपूर्ण नियम है जो चुंबकत्व के कई सिद्धांतों को समझने में मदद करता है।