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कुंडलित करना आसान होता है जैसा की कुंडलियों की ओवरलैपिंग नहीं होती है
कुंडलियों को स्लॉट्स में प्रवेश करने हेतु कुशल मजदूरों की आवश्यकता होती है
कुंडलियों में शीतलन के लिए अत्यधिक स्थान होता है
अंत सिरा बनाने में आसानी होती है
संकेंद्रि कुंडलन में कुंडलियों को स्लाट्स में प्रवेश करने हेतु कुशल मजदूरों की आवश्यकता होती है
संकेन्द्री कुण्डलन में क्वाॅयल एक दूसरे पर चढ़ी नहीं होती परंतु संलग्न क्वाॅयल में दो खाँचों का क्वाॅयल पिच का अंतर होता है इस प्रकार के कुंण्डलन में एक कुण्डली के अंदर दूसरी कुण्डली होती है यह कुण्डलने गोला आकार मैं होती है
• संकेन्द्री कुण्डलन विधि को बेलनाकार कुण्डलन विधि भी कहते हैं